About 400 million people working in the informal economy in India are at risk of falling deeper into poverty due to the coronavirus crisis which is having "catastrophic consequences", and is expected to wipe out 195 million full-time jobs or 6.7 per cent of working hours globally in the second quarter of this year, the UN's labour body has warned.
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन यानी आईएलओ का आकलन है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण भारत के असंगठित क्षेत्र पर सबसे बुरी मार पड़ी है. इस क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ मजदूरों के गरीबी में फंसने के हालात पैदा हो सकते हैं. आईएलओ ने रिपोर्ट में बताया है कि दुनियाभर में कोरोना वायरस का बुरा असर काम के घंटे और कमाई पर भी हुआ है. इसकी वजह से 2020 की दूसरी तिमाही में काम के कुल घंटों में करीब 6.7 फीसदी कमी आ सकती है, जो 19.5 करोड़ मजदूरों के काम के बराबर है. इसका सबसे ज्यादा असर अरब देशों में होता दिख रहा है. यहां काम के घंटों में 8.1 फीसदी की कमी हो सकती है, जो 50 लाख स्थायी कर्मचारियों के काम के बराबर है.
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